जेल में बंद यूपी के बाहुबली माफिया राजनेता मुख्तार अंसारी की दिल का दौरा पड़ने से मौत

मुख्तार अंसारी

बाहुबली गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की गुरुवार शाम दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। तबीयत बिगड़ने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

  • 60 वर्षीय अंसारी का जेल में इलाज किया गया, बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया, इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई
  • आज शाम रमज़ान का रोज़ा ख़त्म करने के बाद उल्टी का अनुभव हुआ, एकाएक स्वास्थ्य गिर गया

बाहुबली -राजनेता और उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी का गुरुवार शाम को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। बांदा जिला जेल में बंद बाहुबली -राजनेता को आज शाम तबीयत बिगड़ने के बाद रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया।

जेल अधिकारियों के अनुसार, शाम को रमज़ान का रोज़ा तोड़ने के बाद 60 वर्षीय अंसारी की तबीयत बिगड़ गई। उसके इलाज के लिए पहले डॉक्टरों को जेल में बुलाया गया था, लेकिन जब डॉक्टरों को संदेह हुआ कि उसको कार्डियक अरेस्ट हुआ है तो मुख्तार को बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया। नौ डॉक्टरों का एक पैनल मुख्तार का इलाज कर रहा था, लेकिन कार्डियक अरेस्ट से उसकी मौत हो गई।

मुख्तार अंसारी का सफर :

मुख्तार अंसारी मऊ सदर सीट से पांच बार विधायक रहा और 2015 से यूपी और पंजाब में सलाखों के पीछे था। उसके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले लंबित थे। पंजाब की जेल में मुख्तार अंसारी ने दो साल बिताए और अप्रैल 2021 में बांदा जेल वापस लाया गया।

सितंबर 2022 से आठ मामलों में यूपी की विभिन्न अदालतों द्वारा सजा सुनाई गई थी और बांदा जेल में बंद का मुख्तार का नाम पिछले साल उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जारी 66 बाहुबलीयों की सूची में था।

30 जून 1963 को उत्तर प्रदेश के यूसुफपुर में जन्मे मुख्तार अंसारी का अपराध की गलियों से सत्ता के गलियारों तक का सफर जितना विवादास्पद था उतना ही विचित्र भी है। 

उसका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जो भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता के बाद के राजनीतिक परिदृश्य में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध था।

उसके दादा का नाम मुख्तार अहमद अंसारी था जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक प्रमुख व्यक्ति थे और 1927 में इसके अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे। 

मातृ पक्ष में, मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान भारतीय सेना में एक सम्मानित अधिकारी थे। उन्होंने 1948 में पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में सर्वोच्च बलिदान दिया और मरणोपरांत महावीर चक्र अर्जित किया।

महान विरासत के बावजूद, मुख्तार अंसारी ने एक बिल्कुल अलग रास्ता चुना। उसका आपराधिक करियर 1980 के दशक में पूर्वांचल की अराजकता के बीच शुरू हुआ, जो सरकारी ठेकों के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले आपराधिक गिरोहों के लिए कुख्यात क्षेत्र था।

मुख्तार अंसारी का नाम तेजी से पूरे उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बन गया। हत्या, हत्या का प्रयास, सशस्त्र दंगे और धोखाधड़ी सहित कई आपराधिक गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के कारण उसको कई मामलों में दोषी ठहराया गया।

आपराधिक आरोपों के बीच मुख्तार अंसारी का राजनीतिक करियर

अपनी कुख्याति के बावजूद, अंसारी ने 1996 से शुरू होकर पांच बार मऊ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा सदस्य (एमएलए) के रूप में एक सीट सुरक्षित करने के लिए अपने प्रभाव का लाभ उठाते हुए राजनीति में कदम रखा।

अंसारी का राजनीतिक करियर द्वंद्व की विशेषता वाला रहा। जबकि कुछ लोगों ने उसे रॉबिन हुड की छवि के रूप में देखा, वहीं अन्य ने उसे उसकी आपराधिक गतिविधियों के हिसाब से देखा।

राजनीति में उसके कार्यकाल में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ जुड़ाव शामिल था, और बाद में, बीएसपी से निकाले जाने के बाद उसने अपने भाइयों के साथ कौमी एकता दल का गठन किया।

मुख्तार अंसारी का कार्यकाल सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और व्यक्तिगत लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का शोषण करने के आरोपों से भी घिरा रहा। 

इस बीच, उनकी मौत की खबर की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने बांदा और लखनऊ, कानपुर, मऊ, गाजीपुर समेत अन्य इलाकों में सतर्कता बढ़ा दी है। संवेदनशील इलाकों में पुलिस बलों की गश्त बढ़ाने का भी आदेश दिया गया है.

 

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