आज चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के साथ ही विक्रम संवत २०८१ का नया वर्ष भी आरंभ हो रहा है। भारत अनेक विविधताओं वाला देश है, यहाँ एक ही पर्व को अलग अलग मान्यताओं से मनाया जाता है।
विक्रम संवत (Vikram Samvat2081) नववर्ष और चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के अलावा आज मनाये जाने वाले कुछ प्रमुख पर्व :
- सजीबू चेइराओबा (Sajibu Cheiraoba)
- उगादी(Ugadi)
- गुड़ी पाड़वा (Gudi Padwa)
- चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri)
- विक्रम संवत (Vikram Samvat)
- चेटी चंद (Cheti Chand)
सजीबू चेइराओबा(Sajibu Cheiraoba)
मणिपुर में इस दिन को ‘सजीबू चेइराओबा’ के नाम से मनाया जाता है। सजिबू का अर्थ होता है ऐसे 6 कारण जो एक वर्ष को पूर्ण करते हैं। इस दिन सभी मणिपुरी लोग सुबह से उठ कर पूजा करते हैं। इस दिन महिलाएं नए चावल, सब्जियों और फूल और फलों से खाना पकाती हैं और उनको लेकर लाइनिंगथोउ सनामही और लेइमरेल इमा सिडबी को भोग चढाते हैं।
उगादि (Ugadi)
नये वर्ष का यह पर्व आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में ‘उगादि‘ के रूप में मनाया जाता है। ‘युग‘ और ‘आदि‘ शब्दों की संधि से बना है ‘युगादि‘, अपने अपभ्रंश रूप में उगादि कहलाता है। मान्यता है कि इसी दिन राम ने वानरराज बाली के अत्याचारी शासन से दक्षिण की प्रजा को मुक्ति दिलाई थी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान ब्रम्हा ने सृष्टि की रचना आरंभ की थी। इस दिन लोग पूजा के बाद एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
गुड़ी पाड़वा (Gudi Padwa)
‘गुड़ी पाड़वा’ पर्व से महाराष्ट्र में हिन्दू नव संवत्सरारम्भ माना जाता है। यह हर साल चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को होता है, जब हिन्दू पंचांग का नया साल शुरू होता है. उल्लेखनीय है कि भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है।
‘गुडी’ का अर्थ ‘विजय पताका’ होता है। कहते हैं शालिवाहन नामक एक कुम्हार-पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं का नाश किया। इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है। यही कारण है आज भी घर के आंगन में गुडी खड़ी करने की प्रथा महाराष्ट्र में प्रचलित है। इसीलिए इस दिन को गुडी पाडवा नाम दिया गया।
गुड़ी पाड़वा के दिन महाराष्ट्र में पूरन पोली या मीठी रोटी बनाई जाती है, जो गुड़, नमक, नीम के फूल, इमली और कच्चे आम के मिश्रण से बनाई जाती है। इन सभी का प्रतीकात्मक महत्त्व है। गुड़ मिठास के लिए, नीम के फूल कड़वाहट मिटाने के लिए और इमली व आम जीवन के खट्टे-मीठे स्वाद चखने का प्रतीक होती हैं।
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri)
हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए नवरात्रि के नौ दिनों का समय सबसे पवित्र दिन होते हैं। नवरात्री वर्ष में दो बार पड़ती है – पहली चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) और दूसरी शारदेय नवरात्री। यह पर्व माँ दुर्गा की उपासना को समर्पित हैं जिसमें दुर्गा देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। नवमी के दिन भगवान राम जन्म रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।
विक्रम संवत (Vikram Samvat) नववर्ष
भारत में पहले शक संवत प्रचलित था, उज्जयनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने शक आक्रान्ताओं से युद्ध किया और उन्हे पराजित किया। इसके बाद आज से २०८१ वर्ष पूर्व महाराज विक्रमादित्य ने इसी दिन से नया संवत लागू किया और पूर्णतः वैज्ञानिक आधार पर काल गणना प्रारंभ की। उन्हीं के नाम से यह विक्रमी संवत कह कर प्रचलित हुआ।
विक्रम संवत किसी विचारधारा या पंथाश्रित नहीं है। यह संवत्सर किसी देवी, देवता या महान पुरुष के जन्म पर आधारित नहीं, व किसी जाति अथवा संप्रदाय विशेष का नहीं है। विक्रम संवत पूणर्तः प्रकृति के खगोलशास्त्रीय सिद्धातों पर आधारित है और भारतीय कालगणना का आधार पूर्णतया पंथ निरपेक्ष है।
भारतीय वैज्ञानिकता का एक बेहतरीन उदाहरण जयपुर के जंतर मंतर में मिलता है जहाँ आधुनिक घड़ी के अविष्कार के वर्षो पूर्व समय की सटीक गणना की जाती थी।
चेटी चंड (Cheti Chand)
हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया ‘चेटीचंड’ और झूलेलाल जयंती मनाई जाती है। ये दिन सिंधी समाज के लिए विशेष महत्व रखता है। सिंधी नववर्ष चेटी चंड, उगादी, गुड़ी पड़वा और चैत्र नवरात्रि शुरू होने के अगले दिन चैत्र शुक्ल द्वितीया को मानते हैं।
सिन्धी बंधु लोग इस दिन को ‘चेटी चंड’ के नाम से मनाते हैं। इस दिन को वे वरुण देवता का अवतार कहे जाने वाले संत झूलेलाल का प्रकट दिवस (जन्म दिवस) के रूप में मनाते हैं। वे इस दिन संत झूलेलाल और बेह्रानो साहिब की पूजा करते हैं।