भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम का जन्म राम नवमी के रूप में मनाया जाता है जो चैत्र माह की नवमी तिथि को पड़ता है
सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक, राम नवमी भगवान राम के जन्म का पर्व है। यह पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है, इसी दिन चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन होता है जिसमें नवरात्रि के 9वें दिन मां दुर्गा और उनके अवतार मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
भगवान राम हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना गया है। अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर जन्मे राम उनके सबसे बड़े पुत्र थे। भगवान राम को सत्य, कर्तव्य, धार्मिकता और करुणा के अवतार के रूप में पूजा जाता है। एक आदर्श व्यक्ति के सभी लक्षण होने के कारण, उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। यह त्यौहार भगवान राम के जीवन और समय और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाता है।
राम नवमी : भगवान राम के जन्म की कथा
भगवान राम के सम्पूर्ण जीवन को वाल्मिकी की रामायण में दर्शाया गया है, जो हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण महाकाव्यों में से एक है।
लंका का शासक रावण अपनी घनघोर तपस्याओं द्वारा प्राप्त वरदानों (जिसके अनुसार वह मनुष्यों को छोड़कर देवताओं, गंधर्वों, यक्षों या राक्षसों के हाथों कभी नहीं मर सकता था) का दुरुपयोग करके देवताओं, गन्धर्वों, ऋषि मुनियों पर आक्रमण कर अपने अधीन करता या उनकी हत्या कर देता था। दुर्जेय हथियारों, रथों के साथ-साथ आकार बदलने की क्षमता से रावण अजेय था। रावण के बढ़ते आतंक से परेशान सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और उनसे पृथ्वी पर अवतार लेने और राक्षस राजा रावण का अंत करने का आग्रह किया जिस पर भगवान विष्णु ने अपना सातवां अवतार लेने का निर्णय लिया।
इक्ष्वाकु वंश के राजा दशरथ के शासनकाल के दौरान अयोध्या का साम्राज्य समृद्धि के शिखर पर था, लेकिन उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए कोई संतान या उत्तराधिकारी नहीं थी। इस उद्देश्य के लिए उन्होंने एक यज्ञ का आयोजन किया, जहां कई ऋषियों और देवताओं ने भगवान ब्रह्मा से दशरथ की इच्छा पूरी करने के लिए प्रार्थना की।
यज्ञ के समापन के बाद, यज्ञ कुंड के ऊपर एक दिव्य आकृति प्रकट हुई, और दशरथ को उनकी रानियों कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा को पुत्रवती होने का वर दिया। जहां कौशल्या से राम का जन्म हुआ, वहीं कैकेयी से भरत का जन्म हुआ जबकि सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
राम नवमी: तिथि, समय, स्थान
राम नवमी भगवान राम के मानवीय और दिव्य दोनों रूपों में प्रकट होने का प्रतीक है, जिसे गहरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। भगवान राम का जन्म अयोध्या में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मध्याह्न काल के दौरान हुआ था जो कि हिंदू दिन का मध्य है। मध्याह्न काल जो छह घटी (लगभग 2 घंटे और 24 मिनट) तक रहता है, पूजा एवं अनुष्ठान के लिए सबसे शुभ समय है। इसलिए भगवान राम का जन्मदिन मनाने का सही समय सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे के बीच पड़ता है।
राम नवमी के अनुष्ठान क्या हैं?
राम नवमी से पहले, चैत्र नवरात्रि के दौरान नौ दिनों का उपवास रखते हैं, नौवें और अंतिम दिन, मां दुर्गा के अवतार मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है और कन्या भोग का अनुष्ठान करते हैं।
भगवान राम की एक छोटी सी मूर्ति एक वेदी पर रखी जाती है, कहीं कहीं भगवान राम की छवि को पालने में रखकर शिशु की तरह उनकी पूजा करते हैं।
घरों एवं भगवान राम को समर्पित धार्मिक स्थलों पर भजन और कीर्तन आयोजित किए जाते हैं। इस दिन लोग आमतौर पर आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों में जाते हैं। भगवान राम की छोटी मूर्तियों को पालने में रखकर जुलूस निकाले जाते हैं।
रामनवमी व्रत :
राम नवमी के दौरान आठ प्रहर उपवास का सुझाव दिया जाता है। जिसका अर्थ है कि भक्तों को एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक व्रत रखना चाहिए।
राम नवमी व्रत तीन अलग-अलग तरीकों से मनाया जा सकता है, पहला नैमित्तिक – जिसे बिना किसी कारण के रखा जा सकता है, दूसरा नित्य – जिसे जीवन भर बिना किसी इच्छा के रख सकते हैं, और तीसरा वांछनीय (काम्य) – जिसे किसी इच्छा को पूरा करने के लिए रखा जा सकता है।