संक्षेप में
- ‘लापता लेडीज‘ ग्रामीण परिवेश में पितृसत्ता के खिलाफ दो महिलाओं के संघर्ष को चित्रित करती है
- किरण राव द्वारा निर्देशित यह फिल्म अपना संदेश भेजने के लिए हास्य, व्यंग्य और रहस्य का उपयोग करती है
- विशेष रूप से मुख्य अभिनेताओं और रवि किशन का प्रदर्शन, फिल्म का मुख्य आकर्षण है
इस सप्ताह की रिलीज़ में बॉलीवुड की नवीनतम फिल्म “लापता लेडीज़” है, जो शुक्रवार को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। बेहतरीन कलाकारों और आशाजनक कहानी वाली इस फिल्म को साल की उम्दा पेशकशों में शुमार किया जा सकता है।
टीम :
यह फिल्म किरण राव द्वारा निर्देशित और आमिर खान प्रोडक्शंस और जियो स्टूडियो द्वारा निर्मित है। लापता लेडीज में नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा, स्पर्श श्रीवास्तव, रवि किशन और छाया कदम प्रमुख भूमिकाओं में हैं।पटकथा और संवाद स्नेहा देसाई द्वारा लिखे गए हैं, जबकि दिव्यनिधि शर्मा ने अतिरिक्त संवादों का ध्यान रखा है।
लापाता लेडीज की पिछले साल प्रतिष्ठित टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (टीआईएफएफ) में स्क्रीनिंग हुई थी। किरण राव की ‘लापता लेडीज़’ एक सम्मोहक ग्रामीण चित्रण है। यह फिल्म पितृसत्ता को बड़े बेहतरीन ढंग से पिरोये गए हास्य द्वारा संबोधित करती है और अपनी आकर्षक कथा, हास्य और रहस्य के साथ एक शानदार सिनेमाई अनुभव प्रदान करती है।
कथा:
बिप्लब गोस्वामी की कहानी ‘टू ब्राइड्स’ से प्रेरित फिल्म “लापता लेडीज़” दो दुल्हनों की कहानी बताती है जिनकी अभी-अभी शादी हुई है। वे अंततः ट्रेन यात्रा में उलझ जाते हैं। यह सब उनके चेहरे को ढंकने वाले घूंघट से शुरू होता है। हैरानी की बात यह है कि परिवार के बुजुर्ग घूंघट को इस घालमेल के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराते। वे इसे निर्दोष मानते हैं। फिल्म हमें एक दिलचस्प यात्रा पर ले जाती है जहां घूंघट एक गुप्त भूमिका निभाता है। भ्रम में अपनी भूमिका के बावजूद, परिवार को नहीं लगता कि यह वास्तविक समस्या है। इससे कहानी और भी दिलचस्प हो जाती है।
सार :
‘लापता लेडीज’ एक शानदार फिल्म है, जिसे बहुत अच्छी तरह से तैयार किया गया है जिसे भरपूर प्रशंसा मिल रही है । फिल्म की लंबाई थोड़ी कम की जा सकती थी, लेकिन इसके बावजूद दो नववधुओं के लापता होने की इस कहानी में आप आनंदित होंगे।